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आम आदमी?बनाम कुत्ता
- August 06, 2022
आम आदमी?बनाम कुत्ता - आम आदमी या इंसान का वर्णन इतनी गहराई तक न तो आप ने सोचा होगा ना कल्पना किया होगा।
हर कोई अपने आप को आम आदमी कह कर संबोधन हमेशा करता है चाहे वो कोई मंत्री हों या मुख्यमंत्री, या प्रधमंत्री या डॉक्टर या इंजीनियर या शिक्षक कही न कही सभी अपने आप को आम आदमी जरूर संबोधित करते ही हैं।
लेकिन मैं भारत की एवं भारत जैसे विकासशील देशों की बात कर रहा हूँ अब ध्यान दिजिये।
आम आदमी की परिभाषा -जिसका कोई प्रभाव न हो एवं कुछ सिमित स्थान पर प्रभाव कोशिश करने पर दिख सके ।
वरिष्ठ नागरिक भी आम आदमी है जिनका उम्र 60 वर्ष से अधिक हो केवल उम्र से वरिष्ठ हैं।
नेता,सेलेब्रिटीज़,कुछ उधोगपति, राष्ट्रपति ये वरिष्ठ नागरिक नही है ये विशेष आदमी है। जो कहीं भी न तो नाम के मोहताज है और इनका प्रभाव हर जगह होता है ये कहीं भी अपना प्रभाव,वर्चस्व दिखा सकते हैं।
आम आदमी का प्रभाव किसी कुत्ते के तुलना कर सकते है क्यों कि कुत्ता नाम प्रयोग करने से बात आपके आत्मा तक पहुंचेगी।
हर आम आदमी का प्रभाव कुछ स्थान विशेष तक होता है जैसे गली के कुत्तों का गली तक बाहर ये कुत्ते बन जाते हैं वैसे ही एक गरीब का प्रभाव केवल उसके मन तक है उसकी झोपड़ी कभी भी कोई उखाड़ सकता है एक ठेले वाले का एक रेडी वाले का ,झुग्गी वाले का,एक मजदूर का प्रभाव सिर्फ उसके शरीर के बल तक है बल यदि ना रहे तो ये मृत समान हैं।
आम आदमी जीवन भर अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश करता रहता है जैसे एक प्रिंसीपल ,एक चपरासी, एक सिपाही, एक दरोगा,एक जिलाधिकारी एक कमिश्नर एक डॉक्टर, एक इंजीनियर, आदि वी सभी जो किसी भी पद पर हो एक प्रिंसिपल का दायरा उसका स्कूल है वहाँ वो अपना प्रभाव दिखा सकता है एक सिपाही अपने एरिया में दरोगा पूरे थाने तक जिलाधिकारी, कमिश्नर जिले में अपने कार्य काल तक आप आदमी के अलग अलग पद पर होते है और निचले स्तर के आम आदमियों पर अपना प्रभाव दिखाते है कार्यालय के बाद इनका प्रभाव इनके दौलत के हिसाब से होता है फिर इनका इलाके का दायरा कम होजाता है।
कुत्तों की तरह देशी कुत्ते के जीवन का मोल किसी विदेशी कुत्ते से हमेशा कम होता है उसी प्रकार किसी बड़े पद पर तैनात व्यक्ति जब सेवा से मुक्त होता है तो उसकी विरदरी देशी कुत्ते की भांति हो जाती है।
पर्याय ये है कि इलाके में वर्चस्व दिखाने वाले व्यक्ति भी देशी और विदेशी कुत्ते की भांति है देशी की कोई कद्र नही और विदेशी की सेवा इंसान तो हमेशा करता है।
आम आदमी सिर्फ पद और वर्चस्व की लड़ाई में लड़ता रहता है अपना जीवन और अपने परिवार के लिए ये किसी की जान लेने में बिल्कुल हिचक नही करता इसी लिए ये आम आदमी है ये अपना प्रभाव हर जगह दिखाने की कोशिश करता है जबकि विशेष आदमी कभी अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश नही करता क्यों कि वो वो हमेशा हरजगह प्रभावी होता है जैसे मंत्री आदि लेकिन पद जाने पर ये सेवानिवृत्त विशेष आदमी के दर्जे में ही होते है बस प्रभाव ही कम होता हूं जैसे हारे हुए नेता ऎसे विदेशी कुत्ते है जिनको यदि घर से निकल दिया जाय तो कोई पागल इन्हें दुबारा पाल लेगा क्यों कि ये विशेष हैं।
लेकिन आम आदमी जीवन के हर मोड़ पर देशी गली का कुत्ता ही रहता है ।
आम आदमी के मरने,जीने का प्रभाव न के बराबर होता है
आम आदमी को यदि कोई समस्या ही जाए पैसे की स्वास्थ्य की कोई मार दे कोई घर उजाड़ दे तो अपने प्रभाव के हिसाब से चिल्ला सकता है मारपीट कर सकता है न्याय का फरयाद कर सकता है बस लेकिन किसी विशेष आदमी के साथ यदिकोई दिक्कत हो तो एक इशारे पर कयामत ढा देंगे फिर कोई मरे या जिये कोई फर्क नही पड़ता।
अक्सर चुनाव में मैंने देखा हैकि हर नेता अपने आप कोआम आदमी संबोधित करता है सिर्फ वोट के लिए बेवकूफ बनाते गई सब कभी सोचा है की वो आम कैसे करोड़ो की संपत्ति, बच्चे महंगे स्कूल, विदेशों में पढ़ते है vvip व्यवस्था हर जगह जिस अस्पताल में आप के साथ कुत्ते जैसा व्यवहार होता है वहीं इनका दामाद जैसे तो ये आम आदमी कहाँ ।
कोई मुख्यमंत्री, कोई मंत्रीय प्रधानमंत्री, या राष्ट्रपति या मुख्यन्यायधीश अक्सर हैलीकॉप्टर से यात्रा करते हैं जहाँ भी जाते हैं वहाँ रेडी,ठेले,छोटे सब्जी वाले, दिहाड़ी करने वालो की कुत्ते के तरह भगा दिया जाता है कितनो के घर उस वक्त का खाना भी नसीब नही होता क्यों क्यों कि वो आम आदमी हैं रोड ख़राब किसी नेता को नही दिखती हैलीकॉप्टर से लेकिन कोई उद्घाटन होता है तब इनलोगों ले लिए वो रोड बनादी जाती है जहाँ पे इन विशेष लोगो के आने की संभावनाएं होती है क्यू?क्यों कि ये विशेष आदमी है।
कभी AIIMS PGI, किसी भी बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज में जाईये अपने मरीज को दिखने और फिर देखिए आम आदमी कुत्ता और विशेष आदमी विदेशी नस्ल के कुत्ता ये तो सभी जानते होंगे।
देशी कुत्ता और आम आदमी एक जैसा है इनके मरने से कोई फर्क नही पड़ता किसी को क्यों कि देश कुत्ता तो कुछ भी सड़ा गला, नाली का पड़ा खा लेता है और कुछ ना मिले तो नाली का सड़ा गला भी कहा लेता है जैसे आम आदमी हर जगह समझौता वाला जीवन।
लेकिन विशेष आदमी विदेशी नस्ल के कुत्ते के समान है इसके मरने से कई लोगो को फर्क पड़ता है जैसे विदेशी कुत्ता दूध पीता है तो दूध वाले को मांस खाता है तो मांस वाले को इंजेक्शन लगता है हमेशा हर समय स्वास्थ्य के देख रेख करने वाले डॉक्टर को कपड़ा पहनता है तो कपड़े वाले को बिस्कुट खाता है तो बिस्कुट वाले को सबका नुकसान होता है इसी प्रकार मंत्री सेलेब्रिटीज़ है जिनका जीवन के पैरासाइट को जीवन देता है ताकि वो आम लोगों का खून पी सकें जो ईमानदार होगा उसको अपना अंडरवियर खरीदने के लिए कई बार सोचना पड़ता है ईमानदारों के पास पैसा कितना है ये सबको पता है वो तो आम आदमी है ना।
पदों का दायरा होता है किसी का स्कूल तक किसी का थाने तक किसी का जिले तक इसके बाहर सब देशी कुत्ते की भांति होते है जो भौक सकते है पर प्रभावहीन होते है कुछ ही होते है जो विशेष आदमी होते है विदेशी कुत्ते की तरह जिनका प्रभाव हर जगह होता है इनके विरोध पर सजा का प्रावधान है क्यों कि ये विशेष आदमी है और विशेष लोगों ने ही न्याय प्रथा को अपने हाथों में ले रखा है।
मंत्री जी जो कई अपराधों से युक्त हो वो कभी भी दूसरी सत्ता धारी पार्टी में जा सकते है और उनका अपराध धूल जाता है क्यों कि वो विशेष आदमी हैं।
विशेष आदमी कभी दुकान पर राशन नही खरीदता,
कभी मोल तोल नही करता,कभी लाइन नही लगाता, कभी अपने कर्मो पर नही रोता जैसे नेता जी लोग,पूंजीपति लोग सेलेब्रिटीज़ लोग ये अव्वल दर्जे के कुत्ते के समान है जो इन्हें पालता है वही इनके जरूरतों को पूरा करता है ठीक उसी तरह जैसे नेता को या पूंजीपति को या सेलेब्रिटीज़ को जनता ही मुकाम पर पहुँचाती है और ये जनता को लूट कर अपना पेट भरते हैं।
विडंबना ये है कि आप के अधिकार आप इस्तेमाल करना ही नही चाहते सिस्टम नेताओ और पूंजीपतियों से चलता है, आप के पास कई विकल्प हैं लेकिन आप विदेशी नस्ल को देख डर जाते है या ये कहिए कि उनका सामना नही करना चाहते गली के कुत्तों के तरह पीछे पूछ खोंस कर भोंकते रहते हैं।
कोई बोलता है कि आप का गर्दन किसी आरी से काट कर आप को मारेंगे,
कोई बोलता हैंकि आप को चाकू घोप कर मारेंगे,
कोई बोलता है कि आप को डंडे से पिट कर मारेंगे,
कोई बोलता है कि आप कोगोली से मारेंगे,
कोई बोलता है की आप को तोप से उड़ा देंगे ,
कोई बोलता हैं कि भूखे रख कर मार देंगे,
कोई बोलता है कि मेरी ग़ुलामी करो तो रूखा सुख खा कर जी सकते हों तो हमारे यहाँ लोग अँतिम विकल्प ही चुनते है कभी विरोध में नही खड़े होते अगर ऐसा नही होता तो न तो मुसलमान भारत पर आक्रमण करते और ना अंग्रेज देश को गुलाम बनाते और ना तो आज ये नेता और उधोगपति आज हावी होते ।