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गर्भ निरोधक गोली

गर्भ निरोधक गोली या नसबन्दी खतरनाक क्यों?

गर्भ निरोधक गोली या नसबन्दी खतरनाक क्यों? नसबन्दी -कई दशक पहले एक योजना भारत सरकार ने बनाई । बढ़ती जनसंख्या ,बेरोजगारी, अशिक्षा को देखते हुए एक योजना बनाई गई नसबन्दी एवं इस योजना को सफल बनाने के लिए मैनेजमेंट पालिसी के तरह नसबन्दी करवाने वाले लोंगो की कुछ रुपये 200 रुपये मिलते थे सन1975 में जब पहली बार जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाया गया जबरन नसबन्दी घर घर किया जाने लगा जैसे मानो भारत मे जनसंख्या विस्फोट होने वाला हो इस नसबन्दी कानून को लागू करवाने में उस समय के वर्तमान सरकार के साथ साथ संजय गांधी का विशेष हाथ था अब प्रश्न क्या बनता है इसपे ध्यान दिजिये। 1- अधिक बच्चे पैदा जो हो रहे थे उसके कारण को एक बेवकूफ भी बता सकता था जैसे शिक्षा का अभाव,जागरूकता का अभाव, गर्भ निरोधक संसाधनों का अभाव इसे किसी ने ध्यान क्यों नही दिया? 2- अगर गरीबी और अशिक्षा कारण इस देश में पनोती है सब बीमारियों का जड़ सिर्फ यही है इसपे सरकार ने ध्यान नही दिया जैसे मानो कोई सडयंत्र हो एक तरफ समस्त हिंदुओं में आक्रोश था वही जबरन घर घर से लोगो को 19 साल से 70 साल तक के लोगों का नसबन्दी किया गया लगभग 60 लाख लोगों का नसबन्दी किया गया सरकारी आंकड़ों के अनुसार और 2000 लोग मर गये लापरवाही से और किसी भी मरने वाले को कोई भी स्वास्थ्य सहायता या आर्थिक रूप से कोई सहायता नही दिया गया अपना ईलाज करवाने के लिए और न ही उनके आश्रितों को कोई सहायता मिला । मुसलमान नसबन्दी हो हराम मानते थे इसलिये इनके समुदाय में भी जमकर विरोध हुआ हकीकत क्या है नही पता लेकिन ऐसा लगता हैं कि यदि नसबन्दी उस समय अगर रफ्तार पकड़ लेती तो ऐसा अनुमान है कि भारत मे मुसलमान 100 करोड़ से ऊपर होते आज और हिन्दू 20 करोड़ पर सही क्या है नही पता लेकिन संजय गांधी पे या इन्दिरा गांधी पे आज के समय में लोगों को कितना विश्वास है वो तो सभी जानते हैं? 3- बात करे आज की तो आज का मेडिकल साइंस 1975 से काफी आगे है लेकिन ऐसा मैंने देखा है कि कुछ लापरवाही लगातार स्वास्थ्य मंत्रालय एवं भारत सरकार के द्वारा लगातार होता चला आ रहा है और वो है अशिक्षा , गरीबी एवं जागरूकता का अभाव कैसे ?  ध्यान दिजिये। 4- वर्तमान समय में नसबन्दी काफी कम लोग ही करते है और सरकार 2200-/ रुपये तक देती है नसबन्दी करवाने वाले लोगों को लेकिन कुछ शिक्षा बढ़ी जागरूकता बढ़ी लोगों को इसका नुकसान पता चलने लगा लेकिन फिर लापरवाही दुबारा सरकार की जैसे जनसंख्या रोकने के लिए कुछ गर्भनिरोधक गोलियां , कंडोम, कुछ हॉर्मोन के इंजेक्शन, कॉपर टी बाजार में उपलब्ध होगए अब लोग इस दौड़ में खुद शामिल होते चले गए बस एक गलती कर बैठे की ये नही देखे की हमारे देश के हर मंत्रालय की भाग दौड़ जाहिल अनपढ़ नेताओं के हाथ में है तो ये भला बाजार में व्यापारी कंपनियों के बारे में उतना ही जानते है जितना पैसा ये कंपनियां इनको देती है तब जा कर ये सामान उपलब्ध होते हैं बाजार में कई गुना कीमत पर और हम बोलते हैं कि हम विकास कर रहे हैं कैसे ? 5- माल डी ये नाम शायद कोई भी नही पूरे देश मे जो न सुना हो अबतक मैन देखा गर्भ निरोधक गोलियों में माला दी काफी प्रचलित है क्यों? क्यों कि गरीबी है अब इतना तो पता है कि अधिक बच्चे नही पैदा करना है और बेरोजगारी में माला दी भी यदि मिलजाए तो बुरा हिक्या । माला ड़ी खाने के बाद भी कम से कम लाखों महिलाए माँ बन गई हॉर्मोन इस तरह से बिगड़े की 20 साल की नवविवाहित मानो 45 साल की औरत दिखे। PCOD, गर्भाशय की गांठ ,थाइरोइड और बांझपन सिर चढ़ कर बोलने लगा (मैं इसीलिए बोलता हूँ कि जाहिलो का काफिला है हमारे देश मे भेड़ के तरीके से चल दिये ) के साल लग गए लोगों को ये जानने में कई इन गर्भ निरोधक दवाओं का दुष्प्रभाव कैसा होता है लेकिन कितनी औरतें अपना गर्भ कक निकलवाने के लिए मजबूर होगयीं कितने में अंडाशय निकाल दिए गए कितने कर्ज लेकर अपना ईलाज कहाँ -कहाँ से कराए कैसे कराए नहीं पता , लेकिन आज वर्तमान समय मे सिर्फ गर्भ निरोधक दवाओं का मूल्य अधिक है बस दुष्प्रभाव काफी देर से मिलता है माला ड़ी के तरह बस मूल्य अधिक है य सरकार को भी पता है लेकिन जहाँ 500 रुपये देश मे प्रधानमंत्री जनधन योजना में प्रति माह लोगों को दिया जा रहा हो महीने भर के राशन के लिए वहाँ 100 रुपये या 300 रुपये या 500 रुपये के गर्भनिरोधक गोलियां सिर्फ अमीरों के लिए हैं 30 करोड़ गरीबो के लिए नही। 6- copra- t इसका हाल ये है कि समझ मे ही नही आता कि यहाँ लोग गवाँर हैं कि सरकार अबतक सबसे अधिक कैंसर, गर्भाशय का यदि किसी कारण हुआ है तो 50% जिम्मेदार केवल कॉपर टी है ये कितना अच्छा है तब पता चलता है जब इसे निकलवाया जाए, ये अबतक का सबसे वाहियात सुविधा है कैसे ये निकलवाने वाली महिलाएं ही बता पायेंगी यहाँ के डॉक्टर नही ? 7 कंडोम – आप के अज्ञानता का फ़ायदा यदि पृथ्वी पर कहीं कोई उठा सकता है तो वो है भारत और यहाँ के कुछ आदमखोर लोग जितने भी कंडोम सस्ते वाले हैं वो एक तो जल्दी फटते हैं दूसरा इनके लगातार उपयोग से महिलाओं में योनि एवं गर्भाशय का कैंसर 60 गुना अधिक होता है 30 प्रतिशत महिलाएं बाँझ बन जाती हैं वही दूसरी ओर महिलाएं एवं पुरूष अपने प्राकृतिक समय से कम से कम 15 वर्ष पहले अवसाद से ग्रस्त होजाते हैं हालांकि कुछ महँगी कंपनियाँ भी इसमें है लेकिन भला हो अमेरिका वालो का जिसने जनसंख्या नियंत्रण में कंडोम के क्षेत्र मे अभूतपूर्व रिसर्च किया लेकिन हमारे यहाँ विकास जा नसबन्दी होगया अभी तह कोई विकास ही नही पैदा हुआ जो इस क्षेत्र में कुछ विकास करे। फिर भी जिस देश मे 500 रुपये में लोगों का ख़र्च महीने भर चलता है उनके लिए नसबन्दी (बधिया) मजबूरी के अलावा कुछ नही 30- 40 रुपये के लागत से बना कंडोम 200-400 रुपये में लोग ही बेचते हैं लोग ही बनाते है और लोग ही इनका दुष्परिणाम भोगते हैं सिर्फ अशिक्षा सिर्फ अशिक्षा।  आखिर शिक्षा, सही ज्ञान कोई क्यों दे ये तो आधुनिक देश जो है यहाँ तो महिलाओं का आदर सिर्फ TV पर और किताबों में होता और उनका शोषण हर दिन किसी न किसी रूप में सबसे भयावह रूप एक ये भी है। कृपया जागरूक बने कम से कम अपने परिवार के लिए और महिलाओं के शोषण को रोकने में अपना योगदान दे क्यों कि महिलाएं बर्दाश करती हैं शर्म संकोच अभी देश मे इस कदर है कि कोई महिला इन बातों को लेकर समाज से या सिस्टम से नही लड़ सकती।

written by Dr bk Upadhyaya

Director BHARAT MULTI CARE Group( Ayurveda Research Institute )